लगभग पांच लाख की आबादी वाले मुजफ्फरपुर शहर में मच्छरों के मारने के लिए निगम के पास फिलहाल कोई योजना नहीं है. एक माह से फॉगिंग बंद है. स्प्रे मशीन के खराब होने के कारण इस बार गर्मी में अब तक ओपेन नाला में मच्छर मारने वाले दवाई का छिड़काव नहीं हुआ है.

 

जबकि, निगम के पास बहलखाना में 20 स्प्रे मशीन पड़ी हैं. दिनों-दिन मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. लोग जहां बैठते हैं, वही मच्छर काटना शुरू कर दे रहा है. रात्रि में मच्छरदानी (नेट) लगाकर सोने के बाद भी मच्छर काटने से बाज नहीं आता है. इससे दूसरे शहर व राज्य से आने वाले लोग फिर से मुजफ्फरपुर को मच्छरपुर कहने लगे हैं. एक तरह से कहें तो निगम की फजीहत हो रही है.

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जल्द शुरू करायी जायेगी फॉगिंग

नगर आयुक्त संजय दूबे ने बताया कि अभी फॉगिंग में जो केमिकल का उपयोग होता है. वही खत्म हो गया है. इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है, लेकिन सहायक अभियंता बीमार पड़ गये हैं. वे लंबी छुट्टी पर है. इससे परेशानी हो रही है. हालांकि, वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर जल्द-से-जल्द केमिकल की खरीदारी कर फॉगिंग प्रारंभ करायी जायेगी.

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10 जगहों पर 200 कंपोस्ट पिट बनाने का विरोध

मुजफ्फरपुर : शहर के कूड़े को शहर में ही कंपोस्ट कर जैविक खाद बनाने के लिए विभिन्न वार्डों में 10 जगहों पर 20-20 पिट बनाने के नगर आयुक्त के फैसले का सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों व कुछ पार्षदों ने विरोध किया है. सशक्त स्थायी समिति सदस्य सीमा झा व शेरू अहमद ने कुछ पार्षदों के हस्ताक्षर से एक ज्ञापन महापौर सुरेश कुमार व नगर आयुक्त संजय दूबे को सौंपा है. इसमें कहा कि समाचार पत्रों में कंपोस्ट पिट बनाने से संबंधित टेंडर का विज्ञापन पूरी तरह से अवैध है. बिना स्थायी समिति व बोर्ड से निर्णय लिये नगर आयुक्त ने विज्ञापन प्रकाशित कर गलत किया है. इन लोगों का कहना है कि चंदवारा पानी कल कैंपस में जो 300 कंपोस्ट पिट बने हैं, उसका उपयोग किया जाये. उक्त कंपोस्ट पिट को अवैध करार देते हुए नगर आयुक्त पत्र निकाल तोड़ने का आदेश दे चुके हैं. हालांकि, बाद में सशक्त स्थायी समिति ने इस पर फिलहाल रोक लगा दी है.

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15 िदनों बाद आता है वार्ड का नंबर

निगम एक माह पहले शहर में फॉगिंग करायी थी. रोस्टर के अनुसार फॉगिंग हुई. एक बार जिस वार्ड में फॉगिंग करायी गयी. दूसरी बार 13-15 दिनों बाद फॉगिंग का नंबर आया, लेकिन केमिकल के अभाव में दोबारा फॉगिंग नहीं करायी गयी. ऐसे में जिन-जिन वार्ड में फॉगिंग हुई. लोग कहते हैं कि उन वार्ड में मच्छरों का प्रकोप और ज्यादा हो गया है. गंदगी के कारण स्थिति काफी खराब हो चुकी है.

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मेयर ने बायोमीट्रिक हाजिरी पर रोक का आदेश िदया

मुजफ्फरपुर : शहर की सफाई व्यवस्था चौपट होने के पीछे निगमकर्मियों का अंचल कार्यालयों में लगी बायोमीट्रिक मशीन से बननेवाली हाजिरी है. यह कहना है नगर निगम के महापौर सुरेश कुमार का. उन्होंने नगर आयुक्त संजय दुबे को पत्र लिख कर अंचल कार्यालयों में लगी बायोमीट्रिक मशीनों को हटाने का निर्देश दिया है. कहा है कि हाजिरी बनाने के चक्कर में हर दिन एक से दो घंटे का समय बर्बाद हो जाता है.  इससे शहर में जगह-जगह गंदगी का अंबार लगा है. ऐसी स्थिति में अब बायोमीट्रिक मशीन के बदले सफाईकर्मियों की हाजिरी सुबह व द्वितीय पाली में पार्षद के समक्ष बनेगी. वेतन व मानदेय का भुगतान पार्षद की मंजूरी के बाद ही किया जायेगा. इसके लिए महापौर ने कुछ पार्षदों को नामित किया है, जिनके समक्ष सफाईकर्मी, अंचल इंस्पेक्टर व वार्ड जमादार अपनी हाजिरी बनायेंगे.

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ये हैं नामित पार्षद : अंचल संख्या एक के लिए वार्ड नंबर चार के पार्षद हरिआेम कुमार, दो के लिए वार्ड 11 की पार्षद प्रमिला देवी, अंचल तीन व स्पेशल रोड के लिए वार्ड 24 की पार्षद शोभा देवी, अंचल संख्या चार के लिए वार्ड संख्या 16 के पार्षद पवन कुमार राम, अंचल पांच के लिए वार्ड संख्या 44 के पार्षद शेरू अहमद, अंचल छह के लिए वार्ड संख्या 35 के आभा रंजन, अंचल संख्या 07 के लिए वार्ड 28 के पार्षद राजीव कुमार पंकू, अंचल संख्या आठ के लिए वार्ड संख्या दस के पार्षद अभिमन्यु कुमार, अंचल नौ के लिए वार्ड संख्या 38 की पार्षद सबाना परवीन व अंचल संख्या 10 के लिए वार्ड संख्या 33 की पार्षद रेशमी आरा को नामित किया गया है.

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पार्षदों ने किया विरोध, कहा-बढ़ेगा भ्रष्टाचार 

महापौर के इस निर्णय का अधिकतर पार्षदों ने कड़ा विरोध किया है. पार्षद केपी पप्पू ने कहा कि शहर स्मार्ट सिटी में शामिल हो गया है, लेकिन महापौर हाजिरी बनाने के स्मार्ट सिस्टम को खत्म कर लूट-खसोट व भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने की कोशिश में लगे हैं. महापौर के निर्णय से यह स्पष्ट हो गया है कि वह फिर से निगम के पुराने किंगमेकर के कब्जे में हो गये हैं. पार्षद संजय केजड़ीवाल ने कहा कि यह मनमानी है. महापौर को अविलंब इसे वापस लेना चाहिए. ऐसा नहीं करते हैं, तो निगम बोर्ड में इसका कड़ा विरोध होगा. इस तरह का फैसला लेकर ईमानदार नगर आयुक्त को बदनाम करने की कोशिश है.

Input : Prabhat Khabar

 

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