मुजफ्फरपुर की शान लीची का मौसम सिर पर है। चंद दिनों में बाग लीची की लाली से लकदक होंगे। वहीं गर्मी की धमक के साथ ही बच्चों की जानलेवा बीमारी एईएस ने भी दस्तक दे दी है। लीची और एईएस के कनेक्शन पर पिछले कई वर्षों से चर्चा चल रही है। लेकिन अब तक कोई स्पष्ट कनेक्शन का पता नहीं चल पाया है। स्वास्थ्य विभाग, किसान और लीची शोध संस्थान के वैज्ञानिक भी इस पर अपनी राय रख रहे हैं। इस बार भी संबंद्ध विभागों ने गाइड-लाइन जारी कर दी है। लीची रिसर्च सेन्टर के वैज्ञानिकों ने कहा कि एईएस का लीची से कोई संबंध नहीं है। वहीं स्वास्थ्य विभाग ने कहा कि खूब लीची खाएं बस ध्यान रहे बच्चे अधपकी और खाली पेट लीची न खाएं।
स्वास्थ्य विभाग बिना तथ्य लीची को एईएस ने जोड़े
राष्ट्रीय लीची रिसर्च सेंटर के निदेशक विशालनाथ ने कहा है कि यह शोध का विषय है। किसी में अबतक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि लीची का कहीं से भी एईएस से कनेक्शन है। किसी भी तरह से लीची को इससे जोड़ने से इसका कारोबार प्रभावित होता है। साथ ही इसका गलत संदेश जाता है। अभी लीची लगभग मंजर की अवस्था में ही है। मगर इसके मरीज मिलने लगे हैं। सेंटर ने किसानों को एक एडवाइजरी भी जारी की है।
वहीं, वरिष्ठ किसान भोलानाथ झा ने कहा कि बताया कि लीची से कोई नुकसान नहीं है। मुजफ्फरपुर की पहचान देश-विदेश में लीची के कारण बढ़ी है। लीची का बाजार लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि अफवाहों पर ध्यान नहीं देकर लीची के बाग को बेहतर बनाने में जुटें। किसान श्री मुरलीधर शर्मा ने कहा कि ऐसी सुनी-सुनाई बातों का नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है।
खूब खाएं लीची बस खाली पेट और अधपकी न खाएं
एईएस के दस्तक के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने एडवाइजरी जारी कर दी है। विभाग ने कहा है कि लीची बच्चों को खूब खिलाएं मगर कुछ सामान्य बातों का ध्यान रखें। बिहार राज्य जेई एईएस के नोडल अधिकारी संजय कुमार ने एडवाजरी में कहा है कि लीची में कोई दोष नहीं है। बस इसके खाने तरीकों को लेकर जागरूक करने की जरूरत है। मसलन, अधपकी लीची और खाली पेट बच्चों को लीची न खिलाएं। डॉक्टरों ने भी माना है कि बीमारी के असली कारणों का अभी तक पता नहीं है। इसलिए अकेले लीची को जिम्मेवार नहीं बताया जा सकता। कुपोषण इस बीमारी का बड़ा कारण है। मौसम में बदलाव और उमस भरी गर्मी में खाली पेट होने से हाइपोग्लेसिमिया (ब्लड में शुगर की कमी) से बच्चे पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे में अधपकी लीची नुकसानदेह होती है। इस बारे में मुजफ्फरपुर जेई एईएस के नोडल अधिकारी डॉ. सतीश कुमार ने कहा जागरूकता के लिए अभियान चलाए जाने की जरूरत है।
Input : Hindustan
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