शनिवार को निगम की बैठक में ‘माननीयोंकी लक्जरी गाड़ियों की खरीदारी पर मुहर लग गई मगर शहर को अंधेरे से बाहर निकालने का कोई प्रयास नहीं किया गया। बजट की कमी का रोना रोते हुए इसे अगले तीन महीने तक के लिए ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। शहर की आधी से अधिक स्ट्रीट लाइट खराब पड़ी हैं। शाम होते ही शहर की अधिकांश गलियां अंधेरे में डूब जाती है। नगर आयुक्त और मेयर की मानें तो शहरवासियों को स्ट्रीट लाइट के लिए अभी कम से कम तीन महीने और इंतजार करना होगा।
वार्ड एक (मेयर सुरेश कुमार का वार्ड) से लेकर शहर के अंतिम वार्ड तक का हाल एक जैसा है। शाम होते ही शहर की अधिकांश गलियां और सड़कें स्ट्रीट लाइट खराब होने के कारण अंधेरे में डूब जाती है। शोहदों का उत्पात शुरू हो जाता है। छेड़खानी से लेकर छिनतई तक की घटनाएं आम हो जाती हैं। मगर लाखों लोगों की इस समस्या को निगम प्रशासन गंभीरता से नहीं ले रहा है। शनिवार की बैठक में एक साथ कई लक्जरी गाड़ियों की खरीदारी की स्वीकृति दे दी गई मगर स्ट्रीट लाइट का मामला आते ही बजट कम होने की बात आ गई। मेयर से लेकर नगर आयुक्त तक ने कहा अभी और इंतजार करना होगा। बोर्ड में नगर आयुक्त ने कहा था कि भारत सरकार के एक उपक्रम ईईएसएल के साथ पूरे शहर में लेड लाइट लगाने का एग्रीमेंट हो चुका है। इस कारण नगर विकास एवं आवास विभाग ने शहर में लाइट पर तत्काल किसी तरह के खर्च पर रोक लगा रखा है। इसे पूरा होने में अभी समय लगेगा। निगम प्रशासन के इस रवैये को लेकर जनता में जबर्दस्त आक्रोश है।
इस संबंध में नगर आयुक्त संजय दूबे ने भी कहा कि थोड़ी बहुत मरम्मत कराई जा सकती है, लेकिन किसी बड़े खर्च पर रोक है। अभी यह काम नहीं कराया जा सकता है। वहीं मेयर सुरेश कुमार ने भी स्ट्रीट लाइट लगाने को लेकर हाथ खड़े कर दिए।
Input : Hindustan
