CM नीतीश ने आज लिया अपने जीवन का सबसे गलत फैसला, शरद-जार्ज की तरह होना होगा अपमानित

जॉर्ज फर्नाडीस को नीतीश कुमार ने 2009 में मुजफ्फरपुर से चुनाव में टिकट नहीं दिया था। बाद में वो निर्दलीय चुनाव में उतरे थे। दिग्विजय सिंह को भी टिकट नहीं दिया था। शरद यादव को जबर्दस्ती अध्यक्ष पद से हटाया था। बाद में उनकी पार्टी से भी छुट्टी हो गयी थी

अब शायद नीतीश कुमार ने अपने लिए भी स्वयम ही वैसी ही कहानी लिख ली है। आरसीपी सिंह बीजेपी के करीबी है, नौकरशाह रह चुके हैं, महत्वाकांक्षी हैं। नीतीश कुमार की ही जाति से आते भी है। संगठन पर अच्छी पकड़ है। 10 साल में ही सबको पछाड़ कर अगर अध्यक्ष बन सकते है तो क्या मुख्यमंत्री बनना नहीं चाहेंगे?

नीतीश कुमार का बड़ा कदम, अपने करीबी RCP सिंह को बनाया JDU का नया अध्यक्ष : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वस्त और भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी आरसीपी सिंह को जनता दल यूनाइटेड (जदयू) का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया है। जदयू राष्ट्रीय कार्यकारिणी की रविवार को हुई बैठक में नीतीश कुमार ने अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की। इसके बाद जदयू के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) आरसीपी सिंह को पार्टी का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया गया, जिसे सर्वसम्मति से मंजूर कर लिया गया।

सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार विधानसभा के चुनाव में पार्टी की उम्मीद से खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली। मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी होने के कारण वह पार्टी को समय नहीं दे पा रहे हैं। पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए जदयू को फुल टाइम अध्यक्ष की जरूरत है। फुल टाइम अध्यक्ष से जदयू को बिहार में तीसरे नंबर की से पहले नंबर की पार्टी बना सकता है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बैठक में कहा कि आरसीपी सिंह संगठन का काम काफी पहले से देख रहे हैं। वह संगठन महासचिव का पद भी संभाल रहे हैं। इसी से उन्हें अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव है। नीतीश कुमार के इस प्रस्ताव के बाद से आरसीपी सिंह के नाम पर मुहर लग गई।

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक नीतीश कुमार की अध्यक्षता में पार्टी के प्रदेश मुख्यालय स्थित कपूर्री ठाकुर सभागार में रविवार को शुरू हुई। बैठक में तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और झारखंड से आए प्रतिनिधि भी शिरकत कर रहे हैं। बैठक शुरू होने से पूर्व पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव संजय झा ने कहा कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तमाम मुद्दों पर चर्चा होगी, जिसमें अरुणाचल प्रदेश का मुद्दा भी शामिल है।

हालांकि उन्होंने दावा किया कि अरुणाचल प्रदेश का असर बिहार में नहीं होगा। जदयू के विधायक अरुणाचल में सरकार को समर्थन दे रहे थे इसके बाद भी ऐसी घटना हुई यह मंथन का विषय है। संजय झा ने विपक्षी पार्टी की ओर से इस मामले को लेकर निशाना साधे जाने पर कहा कि उनके पास इसके अलावा कोई काम नहीं रह गया है। विपक्ष सिर्फ सपना देखते रहे सरकार पांच साल तक मजबूती के साथ चलेगी। उन्होंने कहा कि इन पांच सालों में किसी के लिए कोई संभावना नहीं है।

वहीं, जदयू के वरिष्ठ नेता एवं विधायक श्रवण कुमार ने कहा कि कभी खुशी कभी गम का दौर आता रहता है। पार्टी पहले से इसका सामना करती रही है। उन्होंने कहा कि जदयू हर स्थिति से निपट लेगा। इससे पूर्व जदयू प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा था कि अरुणाचल प्रदेश में भाजपा का जदयू के छह विधायकों को शामिल कराए जाने का व्यवहार उचित नहीं है। उन्होंने कहा था कि भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार अरुणाचल प्रदेश में है, ऐसे में उसे इस तरह करना आवश्यक नहीं था।

इस बीच राजनीतिक जानकारों का मानना है कि हाल ही में संपन्न हुए बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद से ही कयास लगने शुरू हो गए थे कि आने वाले कुछ दिनों में पार्टी के अंदर बड़ा उलटफेर होगा। बता दें कि विधानसभा चुनाव में जदयू को 43 तो भाजपा को 74 सीटें मिली हैं। वहीं जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू होने से पहले पार्टी को अरुणाचल प्रदेश में बड़ा झटका लगा, जहां जदयू के सात में से छह विधायक भाजपा में शामिल हो गए।

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