परीक्षा के दौरान मोबाइल का उपयोग प्रतिबंधित है, लेकिन परीक्षार्थी मोबाइल साथ ले जाते हैं। इसी बीच परीक्षा केंद्र की बिजली गुल हो जाती है और परीक्षार्थी मोबाइल की रोशनी में परीक्षा देते हैं। इस दौरान नकल का खुला खेल होता है। घटना बीएड फर्स्ट पार्ट 2017-19 सत्र की परीक्षा में मुजफ्फरपुर के एलएनटी केंद्र पर गुरुवार को हुई। अब इसका वीडियो वायरल हो गया है।

मोबाइल की रोशनी में हुई परीक्षा
जानकारी के अनुसार गुरुवार को बीएड फर्स्ट पार्ट के कोर्स 5 (अंडरस्टैंडिंग डिसिप्लिन एंड सब्जेक्ट्स) की परीक्षा थी। इस दौरान बारिश व आंधी के चलते बत्ती गुल हो गई। परीक्षा केंद्र पर अंधेरा छा गया। परीक्षार्थियों को कॉपी पर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। ऐसे में कुछ परीक्षार्थियों ने अपने पास से मोबाइल निकाले और उसकी रोशनी में परीक्षा देना शुरू किया। हालांकि, वैसे परीक्षार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया, जिनके पास मोबाइल नहीं था या जिनके मोबाइल की बैट्री तुरंत जवाब दे गई। इस बीच किसी ने परीक्षा कक्ष में मोबाइल से दी जा रही परीक्षा का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।
वीडियो में साफ दिख रहा है कि वीक्षकों की मौजूदगी में बड़ी संख्या में परीक्षार्थी मोबाइल की रोशनी में परीक्षा दे रहे हैं। परीक्षा केंद्र की अव्यवस्था व लाचारी की वजह से मोबाइल की रोशनी में परीक्षा देने की छूट के बीच कुछ परीक्षार्थियों के लिए नकल का अवसर हाथ लग गया। वीडियो से परीक्षार्थियों की खुशी स्पष्ट है। कुछ परीक्षार्थी यहां तक कहते सुनाई पड़े रहे हैं कि अंधेरे में नकल तो करने दीजिए। हालांकि, वीक्षक मना भी कर रहे हैं, लेकिन उनके हाथ से मोबाइल छीन रहे।
परीक्षा संचालन पर खड़ा हुआ सवाल
अब यह वायरल वीडियो कदाचारमुक्त व निष्पक्ष परीक्षा संचालन के दावे को मुंह चिढ़ा रहा है। इसने केंंद्र की अव्यवस्था की पोल खोल दी है। यह सवाल भी खड़ा हो गया है कि परीक्षा केंद्र के भीतर मोबाइल ले जाने की मनाही के बावजूद परीक्षार्थियों के पास मोबाइल कैसे थे?
विदित हो कि यह वही परीक्षा केंद्र है जहां 18 सितंबर को बीएड के कोर्स-4 की परीक्षा में मनमानी का आरोप लगाते हुए कई परीक्षार्थियों ने हंगामा किया था।
उठी जांच की मांग
घटना की बाबत प्राचार्य वीरेंद्र प्रसाद सिंह से संपर्क के प्रयास अभी तक विफल रहे हैं। उधर, कॉलेज छात्रसंघ नेता हैदर निजामी व युवा राजद सचिव ताबिस कमर ने घटना की जांच की मांग की है। उन्होंने इसके लिए प्राचार्य को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि कॉलेज का जेनरेटर नहीं चला तेल खर्च बचा कॉलेज प्रबंधन अपनी जेब गर्म करता है।