बिहार के नियोजित शिक्षकों को समान काम-समान वेतन देने के मामले में हुई सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि शिक्षक छात्रों का भविष्य तय करते हैं, ऐसे में उनकी सैलरी चपरासी के वेतन से कम क्यों है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह नाराजगी बिहार सरकार द्वारा पेश की गई एक रिपोर्ट पर पर जताई है। इसके अलावा कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए अगली तारीख निर्धारित कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में समान काम-समान वेतन मामले की अगली सुनवाई 27 मार्च का होगी।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार से कहा कि दोनों सरकारें मिलकर यह सुनश्चित करें कि शिक्षकों की हालत किस तरह से सुधरेगी। बताते चलें कि सरकार को तकरीबन 52 हजार करोड़ रुपये की जरूरत समान काम-समान वेतन देने में होगी। इस वजह से सरकार ने असमर्थता जताई थी।
29 जनवरी को हुई थी पहली सुनवाई
इस साल 29 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट में समान काम-समान वेतन मामले में पहली सुनवाई की थी। इसके बाद दूसरी सुनवाई आज यानि 15 मार्च को हुई। पहली सुनवाई में कोर्ट ने बिहार में पंचायत के जरिए चुने गए शिक्षकों को नियमित अध्यपकों के बराबर वेतन देने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।