नोटबंदी के बाद से बाजार में सिक्कों की सप्लाइ बढ़ने से इसकी डिमांड काफी घट गयी है. मुजफ्फरपुर शहर में आये दिन सिक्कों को लेकर उपभोक्ताओं और दुकानदारों में तू-तू-मैं-मैं होना आम बात हो गई है।

यहाँ तक की जेल चौक पर एक पेट्रोल पम्प पर बड़े-बड़े अक्षरों में सूचना लगी थी कि “एक से ज्यादा सिक्का नहीं लिया जायेगा”। ऐसी ही सूचना कई जगहों पर लगी हुई देखी जा सकती है। कई लोगों के हस्तक्षेप के उपरांत हटा लिया गया तो कई जगहों पर अब भी लगी हुई है।

 

सिक्के नहीं ले रहे बैंक

हॉकरों और दुकानदारों की परेशानी बढ़ी शहर में इन दिनों दस, पांच, दो और एक रुपये के सिक्के बैंकों द्वारा जमा नहीं लेने के कारण अखबार के हॉकरों, पान, नाश्ता, फल, सब्जी, चूड़ी, मिठाई, दवा आदि दुकानदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हॉकरों और दुकानदारों ने बताया कि हजारों के सिक्के जमा हो गये हैं. जब बैंक में जाते हैं, तो सिक्का लेने में आनाकानी करते हैं. जबकि, ग्राहक छोटी-मोटी खरीदारी पर अधिकतर सिक्के ही देते हैं. एक व दो रुपये के सिक्के से परहेज कर रहे दुकानदार पिछले दो से तीन महीने से कई गांवों में ग्राहकों से दुकानदारों ने एक रुपये के छोटे सिक्के लेने बंद कर दिये हैं. इसे लेकर आये दिन ग्राहकों और दुकानदारों के बीच नोक-झोंक होते रहती है.
खुदरा दुकानदार व्यापार करते हैं और खुदरा दुकानदारी में भारी मात्रा में सिक्के आते हैं. जबकि, वे उसी सिक्के को गद्दी में देने जाते हैं, तो बड़े व्यापारी नहीं लेते हैं. व्यापारियों का कहना है कि सिक्का बैंक नहीं ले रहा है.

जिलाधिकारी का आदेश

जबकि पूर्व जिलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने मीडिया के माध्यम से इस संबंध में कहा था कि किसी भी प्रकार का कोई भी सिक्का बंद नहीं हुआ है और दुकानदारों से अपील किया था कि वे उपभोक्ताओं से सिक्का लेने में आनाकानी और नोकझोंक ना करें।

क्या कहते हैं बैंक अधिकारी

सिक्के लेने से मना नहीं कर सकते बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक पैट्रिक बारला के अनुसार कोई भी सरकारी करेंसी (नोट या सिक्का) लेने से कोई मना नहीं कर सकता है.

क्या है आरबीआई नियम

आरबीआइ का नियम कहता है कि अगर कोई बैंक में भी सिक्के जमा कराना चाहता है, तो बैंक भी उसे लेने से इनकार नहीं कर सकता है. अगर आप ज्यादा मात्रा में सिक्के जमा कराना चाहते हैं, तो उन्हें अलग-अलग सिक्के एक, दो, पांच या 10 रुपये के सिक्कों को बैंक तौलकर या मशीन से गिनकर लेंगे. इन सिक्कों को नोट में बदलना चाहते हैं, तो बैंक उसे भी मना नहीं कर सकते हैं. इसमें आप कितने भी रकम के सिक्के बैंक को दे सकते हैं.

सिक्कों की खनक से रोजाना हो रही नोंक-झोंक

 

कहाँ दर्ज करें शिकायत

आरबीआइ का कहना है कि बैंक यदि सिक्का नहीं लेते हैं, तो बैंक के कंट्रोलिंग ऑफिसर को इसकी शिकायत करें. अगर यहां आपकी शिकायत नहीं सुनी जाती है, तो आप आरबीआइ के पास इसकी शिकायत कर सकते हैं.

राष्ट्रीय मुद्रा का अपमान राजद्रोह की श्रेणी का अपराध

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रचलित मुद्रा जब तक उसके द्वारा वापस लेने की घोषणा न कर दी जाए तब तक इसे लेने से कोई मना नहीं कर सकता। क्योंकि यह कानून का उल्लंघन है। रिजर्व बैंक की मुद्रा लेने से इंकार करना दंडनीय अपराध है।

कोई दुकानदार या व्यक्ति अगर आरबीआई के सिक्कों को लेने से इंकार करता है तो उस पर राजद्रोह का केस दर्ज कराया जा सकता है। भारत की वैध मुद्रा लेने से इंकार करने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 (ए) के तहत मामला दर्ज कराया जा सकता है। राष्ट्रीय मुद्रा का अपमान राजद्रोह की श्रेणी का अपराध है, जिसमें धारा 124 ए भारतीय दंड विधान के तहत तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्राविधान है। ऐसे आरोपियों पर जुर्माना भी न्यायालय लगा सकता है।

क्योंकि मुद्रा या नोट लेने का वचन भारत सरकार की ओर से दिया जाता है। इसको लेने से इंकार करना राजद्रोह की श्रेणी में आता है।

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