भागलपुर : जब मन में इच्छा शक्ति प्रबल हो तो किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता हैं। मुंदीचक के नया टोला निवासी डा. कमल किशोर मंडल ने ऐसे ही अपने एक बड़े लक्ष्य को हासिल किया हैं। वे 17 सालों तक तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के जिस पीजी अंबेडकर विचार विभाग में चपरासी सह रात्रि प्रहरी की ड्यूटी में तैनात रहे। अब टीएमबीयू मे हीं उनका चयन असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर पर हुआ हैं।

नियुक्ति बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के जरिए हुई

डा. कमल किशोर की नियुक्ति बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के जरिए हुई हैं. जिसको लेकर भागलपुर के तिलकामांझी यूनिवर्सिटी की चर्चा चारों ओर हो रही हैं। डा. मंडल 1995 में सीएमएस हाइ स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की। इसके बाद 1997 में मारवाड़ी कालेज से आइएससी और साल 2000 मे तिलकामांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान से अपना स्नातक पूरा किया।

2003 मे चतुर्थवर्गीय कर्मी के रूप में हुई थी नियुक्ति

डा. मंडल ने बताया की 2003 में उनकी नियुक्ति आरडी एंड डीजे कालेज, मुंगेर में चतुर्थवर्गीय कर्मी के रूप में हुई। कुछ ही दिनों बाद उनका तबादला पीजी अंबेडकर विभाग में रात्रि प्रहरी के रूप में हो गया। इसके बाद उन्होंने पीजी की पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय को कई पत्र दिया। 2007 में उन्हें पीजी के लिए अनुमति मिली। इसके बाद उन्होंने अपनी पीजी की पढ़ाई उसी विभाग से पूरी की।

2017 में मिली पीएचडी की उपाधि

डा. मंडल ने अपनी पीजी की पढ़ाई पूरी होने के बाद एनओसी के पश्चात उसी विभाग से पीएचडी का पंजीयन साल 2013 में कराया और 2017 में उन्हें पीएचडी उपाधि दी गई। 2020 में असिस्टेंट प्रोफेसर की वैकेंसी आई। इसमे 12 लोगों ने हिस्सा लिया। 2022 में 12 मे से चार लोगों का चयन हुआ, जिसमें डा. मंडल भी शामिल थे।

परिवार और गुरूजनों का साथ मिलने के कारण यह संभव हो पाया 

डा. मंडल ने कहा की किसी भी लक्ष्य पर यदि कड़ी मेहनत के साथ लगा जाए तो उसे पूरा करना आसान होता हैं। साथ हीं उन्होंने कहा कि परिवार और गुरूजनों का साथ मिलने के कारण हीं चतुर्थवर्गीय कर्मी से असिस्टेंट प्रोफेसर बनने तक का यह सफर संभव हो पाया हैं।

टीएमबीयू के लिए गर्व की बात

वहीं कमल किशोर मंडल के इस अद्भुत कारनामे को लेकर तिलका मांझी भागलपुर यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर रमेश कुमार ने शुभकामनाएं देते हुए कहा की टीएमबीयू के लिए ये गर्व की बात हैं। एक चतुर्थवर्गीय कर्मचारी होते हुए बिहार राज्य विवि सेवा आयोग के योग्य बनाना ये अपने आप में बहुत बड़ी उपलब्धि हैं।

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