पूर्णिया : केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह 23 सितंबर को सीमांचल के दौरे पर आ रहे हैं। अमित शाह के कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर पूर्णिया पहुंचे केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह ने नितीश सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होने कहा की तुष्टिकरण की राजनीति और राजनीतिक संरक्षण के कारण इस सीमांचल इलाके की डेमोग्राफी बदल गई हैं। भारत को गजवा ए हिंद बनाने की साजिश जेडीयू और आरजेडी की सरकार में हो रही हैं।
हिंदुओं की संख्या लगातार घट रही हैं
पूर्णिया में आज प्रेस वार्ता करते हुए गिरिराज सिंह ने कहा की, घुसपैठियों को राजनीतिक और धार्मिक संरक्षण दिए जाने के कारण 1970 के बाद सीमांचल और पूर्वांचल इलाके में घुसपैठ काफी बढ़ गयी हैं जो इस इलाके की सबसे बड़ी समस्या हैं. इस इलाके में 1970 से अब तक एक खास वर्ग की जनसंख्या 20 गुनी बढ़ गई हैं जबकि हिंदुओं की संख्या लगातार घट रही हैं। क्या जेडीयू और आरजेडी जैसी पार्टियां गजवा- ए- हिंद बनाना चाहती हैं? लेकिन गिरिराज सिंह के रहते हुए यह कभी भी संभव नहीं होगा।
हमारी सरकार आई तो मजहबी कानून हटाएंगे
गिरिराज सिंह ने जदयू और राजद पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लागते हुये कहा की, बिहार में पीएफआई का खुलासा होता हैं और टेरर मॉड्यूल के लोग पकड़े जाते हैं। पीएफआई के लोग भारत को गजवा-ए-हिंद, इस्लामिक राष्ट्र बनाने की बात कहते हैं, ये सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे हैं की बिगाड़ रहे हैं। नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री रहते हुये साल 2013 में पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश रची गई थी। सीरियल बम ब्लास्ट हुए थे, इसमें सारे एक खास संप्रदाय के लोग शामिल थे और उन्होंने इस पूरी साजिश को रचने का काम किया था। जेडीयू और आरजेडी की सरकार में भारत को गजवा-ए-हिन्द बनाने की साजिश रची जा रही हैं, अगर बिहार में हमारी सरकार आई तो ऐसे जीतने भी मजहबी कानून हैं सबको हटाएंगे। बिहार में कभी भी शरिया कानून लागू नहीं होने देंगे। बिहार का कानून देश के संविधान से चलेगा।
पशु तस्करी और घुसपैठ धड़ल्ले से जारी हैं
गिरिराज सिंह ने पशु तस्करी के खुलासे पर कहा की, तुष्टिकरण की राजनीति और राजनीतिक संरक्षण के कारण सीमांचल के इलाके की डेमोग्राफी बदल गई हैं। सीमांचल क्षेत्र में पशु तस्करी और घुसपैठ धड़ल्ले से जारी हैं. इन्हें राजनीतिक संरक्षण और धार्मिक संरक्षण मिल रहा है. पशुओं की धड़ल्ले से तस्करी हो रही हैं और पशुधन कम होते जा रहे हैं. घुसपैठ और पशु तस्करी के लिए राजनीतिक संरक्षण एवं तुष्टिकरण सबसे बड़ी विडंबना हैं।