एक दशक पहले लवगुरू बनकर चर्चा में आए 64 साल के मटुकनाथ आजकल बेहद अकेले हैं, वजह ये है कि उनके साथ लिव इन में रह रही उनकी प्रेमिका कम शिष्या जूली उन्हें छोड़कर दूर चली गई है। लेकिन मटुकनाथ का कहना है कि जूली उनसे दूर नहीं गईं उनके दिल में ही रहती हैं। वैसे मटुकनाथ की जूली ने अब आध्यात्म का रूख कर लिया है।

जूली के प्यार में छोड़ा घर-परिवार

एक दशक पहले पटना विश्वविद्यालय के बीएन कॉलेज में हिंदी हिंदी विभाग के 51 साल के प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी ने अपनी 21 साल की शिष्या जूली को अपने जीवन का प्यार बताते हुए उसके साथ ही जीवन बिताने का फैसला किया था, जिसके बाद उनकी पत्नी ने सरेआम दोनों की जमकर बेइज्जती की थी और ये खबर अखबारों और मीडिया चैनल्स की सुर्खियां बनीं थीं।जूली के लिए मटुकनाथ ने समाज की परवाह किए बिना अपनी पत्नी को भी छोड़ दिया था।

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पत्नी ने की बेइज्जती, नौकरी भी चली गई थी 

यूनिवर्सिटी ने पहले उन्हें निलंबित किया और बाद में कॉलेज से निकाल दिया। उनकी पत्नी ने टीवी पत्रकारों के साथ उस घर पर छापा पड़वाया जहां वह अपनी स्टूडेंट के साथ लिव इन में रह रहे थे। उनकी पत्नी ने मटुकनाथ को गिरफ्तार भी करवाया और आरोप लगाया कि वह स्टूडेंट्स को ज्यादा नंबर देने का वादा करके प्रलोभन देते थे। इसके बाद मटुकनाथ ने तलाक और यूनिवर्सिटी से निलंबन की बहाली के लिए कोर्ट के चक्कर भी लगाए।

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जूली को पसंद आ गया आध्यात्म

बीएचयू और जेएनयू जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में पढ़ी मटुकनाथ की जूली को उनके साथ रहते हुए करीब चार साल पहले अध्यात्म पसंद आ गया और उसके बाद उसने पुड्डुचेरी, ऋषिकेश, पुणे के ओशो आश्रम में समय बिताना शुरू कर दिया।

मटुकनाथ कहते हैं, ‘जब-जब वह पटना आती थी तो कुछ दिनों के लिए मेरे साथ रहती थी। फिर हमने तय किया कि वह फुलटाइम अध्यात्म की शरण में रहेंगी। मटुकनाथ ने बताया कि वह शांति की खोज के लिए जूली को मुक्त करना चाहते थे।

उम्र में बीस साल का अंतर कभी नहीं आड़े आया

दोनों की उम्र में काफी अंतर है लेकिन उन्होंने कहा कि इतना अंतर उनके बीच कभी मुद्दा नहीं बना। वह कहते हैं, ‘जूली आज भी कहती हैं कि हमारी मेंटल ऐज समान है।’ मटुकनाथ जूली के साथ अपने खुशहाल दिनों की तस्वीरें दिखाते हुए याद करते हैं। एक तस्वीर जिसमें वह खुशमिजाज नजर आ रहे हैं और रिक्शा चला रहे हैं जबकि जूली रिक्शे की सीट पर बैठी हुई हैं।

अकेले जीवनयापन कर रहे लवगुरू मटुकनाथ कहते हैं कि कोई नहीं जानता कि परिस्थितियां कब बदल जाएं?हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। हम और जूली करीब दस साल तक साथ रहे। फिर अचानक जूली का सांसारिक मोह-माया से लगाव हटने लगा। अब सुप्रीम कोर्ट ने  मटुकनाथ को पत्नी का गुजारा भत्ता देने का अादेश दिया है।

 प्यार को चाहा, प्यार को पाया, कोई पछतावा नहीं

इसके बावजूद मटुकनाथ का कहना है कि लोगों का नजरिया मेरे प्रति बदला है। जब मेरी पत्नी ने पूरे देश के सामने मुझे अपमानित किया तब लोगों ने मेरा मजाक बनाया, वे मुझपर हंसते थे लेकिन आज वही लोग प्यार के प्रति मेरे यकीन पर मेरी तारीफ करते हैं। मुझे कोई पछतावा नहीं है। मैंने वही किया जो मुझे सही लगा। लोग अपनी राय बनाने के लिए आजाद हैं।’

जूली को वेलेंटाइन डे पर कार गिफ्ट की 

2013 में जब यूनिवर्सिटी ने उन्हें निलंबनकाल का उनका बकाया वेतन करीब 20 लाख रुपये सौंपा तो उन्होंने जूली को वैलंटाइंस डे के दिन 6.3 लाख की कार गिफ्ट की थी। मटुकनाथ अब पटना के शास्त्रीनगर में एक अपार्टमेंट में अकेले रह रहे हैं और अक्टूबर में पटना यूनिवर्सिटी से रिटायर होने वाले हैं।

उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद का प्लान भी बनाया है। उन्होंने बताया कि रिटायरमेंट के बाद वह भागलपुर जिले में अपनी प्रेम पाठशाला खोलेंगे और स्टूडेंट्स को प्यार और विश्वास का पाठ पढ़ाएंगे।

Input : Dainik Jagran

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