बिहार में नए सियासी समीकरण के संकेत, उपेंद्र कुशवाहा बन सकते हैं मंत्री

पटना: राजनीति में कोई किसी का ना तो दोस्त होता है और ना हीं दुश्मन. इस बात का जीता जागता प्रमाण है बिहार की राजनीति. बिहार विधानसभा चुनाव में जीरो पर आउट हुई आरएलएसपी एक बार फिर जेडीयू से जुड़ सकती है. इस बात के कयास इसलिए लग रहे हैं क्योंकि आरएलएसपी के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गुपचुप मुलाकात की खबरें सामने आ रही हैं. सूत्रों की माने तो बीते 2 दिसंबर को ये मुलाकात एक अणे मार्ग स्थित सीएम हाऊस में हुई है. यह जानकारी भी सामने आ रही है कि मुलाक़ात के पहले नीतीश कुमार ने फ़ोन कर समर्थन में बोलने के लिए धन्यवाद भी दिया था.अब इस मुलाकात के बाद चर्चों का बाजार गर्म है कि राज्यपाल के मनोनय कोटे से उपेंद्र कुशवाहा को विधान परिषद का सदस्य बनाकर मंत्री भी बनाया जा सकता है. अगर ऐसा हुआ तो उपेंद्र कुशवाहा भी चारों सदनों के सदस्य होने का गौरव हासिल कर लेंगे.

ये विधान सभा, राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य पहले ही रह चुके हैं. बताते चलें कि इस बार 17वीं बिहार विधानसभा में पहले सत्र के अंतिम दिन 27 नवंबर को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर की गई अमर्यादित टिप्पणियों के बाद नीतीश कुमार भी आक्रोशित हो उठे थे और पहली बार सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को काफी तल्ख अंदाज में देखा गया था . उन्होंने तेजस्वी यादव के आचरण को अशोभनीय कहा था.

इस बात को लेकर उपेंद्र कुशवाहा ने तेजस्वी के व्यवहार की आलोचना करते हुए सीएम नीतीश कुमार के साथ खड़े रहने का ऐलान किया था.इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने फोन कर कुशवाहा को धन्यवाद दिया था और मुलाक़ात का आग्रह किया जिसके बाद कुशवाहा ने सीएम हाउस जाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात की.

बिहार विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा जी डी एस एफ (ग्रैंड डेमोक्रेटिक सेक्युलर फ्रंट) की ओर से सीएम फेस थे इस फ्रंट में बीएसपी, एआईएमआईएम, देवेंद्र यादव की पार्टी सहित छह अन्य पार्टियां शामिल थीं. आरएलएसपी 104 सीटों पर चुनाव लड़ी थी मगर एक सीट पर भी जीत हासिल नहीं कर पाई थी.

बिहार की राजनीति में एक वो भी दौर था जब समता पार्टी के समय उपेंद्र और नीतीश कुमार से आपस में बेहतर संबंध थे. 1995 में समता पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव में उपेंद्र कुशवाहा ने चुनाव भी लड़ा था. जेडीयू से उपेंद्र कुशवाहा विधानसभा के विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं .2005 में विधानसभा चुनाव हारने के बाद उपेंद्र ने जेडीयू से नाता तोड़ दिया था, बाद में नीतीश कुमार से संबंध बेहतर कर जेडीयू से राज्यसभा के सदस्य बने. लेकिन 2010 में विधानसभा चुनाव के पहले इस्तीफा दे दिया और वह राकंपा के भी प्रदेश अध्यक्ष रहे.

2013 में कुशवाहा ने डॉक्टर अरुण कुमार के साथ मिलकर आरएलएसपी का गठन किया. 2014 में बीजेपी के साथ गठबंधन कर 2014 में लोकसभा चुनाव जीतकर नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री बने. 2018 में एनडीए छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बन गए और लोकसभा चुनाव में 6 सीटों में से एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं कर सके. 2020 में विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीट नबी मिलने से नाराज होकर महा गठबंधन से अलग हो गए थे.

एक बार फिर मुख्यमंत्री से कुशवाहा नजदीकी को लेकर राजनीतिक जानकारों की माने तो कुशवाहा और नीतीश कुमार की मुलाकात का परिणाम जल्द सामने आएगा और बिहार में जल्द ही नया राजनीतिक समीकरण भी देखने को मिल सकता है.

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