हरितालिका (तीज) व्रत 12 सितम्बर को श्रद्धाभक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। इसकी तैयारी अभी से प्रारंभ हो गई है। सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखती है और शिव-पार्वती की विशेष आराधना करती है। संध्या बेला में महिलाओं ने हरितालिका व्रत से जुड़े कथा सुनती है। न्यू कालेनी निवासी रश्मि कुमारी राव का कहना है कि इस दिन महिलाएं कलाईयों को मेंहदी से सजाती हैं। हरी चूड़ियां पहनकर पति की सलामती व सुंदर स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करती है। वहीं अधिवक्ता शीला मिश्र ने बताया कि यह व्रत पति की लंबी आयु और अच्छी पति के कामना के ख्याल से भी किया जाता है। उन्होंने शिव जी द्वारा माता पार्वती को सुनाए गए कथा की चर्चा करते हुए कहा कि इस व्रत से व्रती के पति की लंबी आयु, संदुर स्वास्थ्य प्राप्त होता है। बारह वर्षों तक निराहार पत्तों को खाकर पार्वती ने किया था व्रत।

पश्चिमी चंपारण जिले के आचार्य राधाकांत शास्त्री ने कहा कि माता गौरा ने सती के बाद हिमालय के घर में पार्वती रूप में जन्म लिया। बचपन से ही पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में चाहती थी। इसके लिए पार्वती ने कठोर तप किया। उन्होंने कड़कड़ाती ठंड में खड़ा रह कर गर्मी में यज्ञ के सामने बैठ कर यज्ञ किया। बारिश में जल में रहकर कठोर तपस्या की। बारह वर्षों तक निहार पत्तों को खाकर पार्वती ने व्रत किया। उनकी इस निष्ठा से प्रभावित होकर भगवान विष्णु हिमालय से पार्वती जी का हाथ विवाह हेतु मांगा। लेकिन पार्वती जी दुखी हो गई और व्यथा सखी से कही और जीवन को त्याग देने की बात कहने लगी। तब सखी पार्वती को हर कर वन में ले गई। जहां पार्वती ने छिप कर तपस्या की। जहां पार्वती को शिव ने आशीर्वाद दिया और पति के रूप में मिलने के वरदान दिया।

Input : Dainik Jagran

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